विष्णु आरती – ॐ जय जगदीश हरे (Om Jai Jagdish Hare)

भगवान विष्णु की यह आरती हिंदू धर्म में सबसे लोकप्रिय और व्यापक रूप से गाई जाने वाली आरती में से एक है। ॐ जय जगदीश हरे आरती 19वीं सदी में पंडित शारदा राम फिल्लौरी द्वारा लिखी गई थी। यह आरती भारत भर में विभिन्न भाषाओं में व्यापक रूप से गाई जाती है, लेकिन इसकी मूल रचना हिंदी में है।

भगवान विष्णु का शंख, गदा और कमल के साथ पारंपरिक परिधान में चित्रण जिसमें नारायण आरती और ॐ जय जगदीश हरे लिखा हुआ है।
रचयिताशारदा राम फिल्लौरी
भाषाहिन्दी

विष्णु आरती – ॐ जय जगदीश हरे

Vishnu Aarti – Aarti Om Jai Jagdish Hare

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥

जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥

ॐ जय जगदीश…॥

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिनु और न दूजा, आस करूं जिसकी॥

ॐ जय जगदीश…॥

तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी।
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥

ॐ जय जगदीश…॥

तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥

ॐ जय जगदीश…॥

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥

ॐ जय जगदीश…॥

दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥

ॐ जय जगदीश…॥

विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥

ॐ जय जगदीश…॥

तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥

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