‘जानकीनाथ’ शब्द का शाब्दिक अर्थ “जानकी के भगवान” है। मिथला के राजा जनक की पुत्री होने के कारण माँ सीता का दूसरा नाम जानकी पड़ा। माता जानकी के पति होने के कारण राम को जानकीनाथ से सम्बोधित किया गया है। इसीलिये जानकीनाथ आरती भगवान राम को समर्पित है। भगवान राम की यह आरती उनसे शांति, समृद्धि और कठिनाइयों से सुरक्षा का आशीर्वाद मांगने के लिए की जाती है।
श्री जानकीनाथ आरती – ॐ जय जानकीनाथा (Shri Jankinath Aarti)
ॐ जय जानकीनाथा, जय श्री रघुनाथा।
दोउ कर जोरें बिनवौं, प्रभु! सुनिये बाता॥
ॐ जय..॥
तुम रघुनाथ हमारे, प्राण पिता माता।
तुम ही सज्जन-संगी, भक्ति मुक्ति दाता॥
ॐ जय..॥
लख चौरासी काटो, मेटो यम त्रासा।
निशदिन प्रभु मोहि रखिये, अपने ही पासा॥
ॐ जय..॥
राम भरत लछिमन, सँग शत्रुहन भैया।
जगमग ज्योति विराजै, शोभा अति लहिया॥
ॐ जय..॥
हनुमत नाद बजावत, नेवर झमकाता।
स्वर्णथाल कर आरती, करत कौशल्या माता॥
ॐ जय..॥
सुभग मुकुट सिर, धनु सर, कर शोभा भारी।
मनीराम दर्शन करि, पल-पल बलिहारी॥
ॐ जय..॥
जय जानकिनाथा, हो प्रभु जय श्री रघुनाथा।
हो प्रभु जय सीता माता, हो प्रभु जय लक्ष्मण भ्राता॥
ॐ जय..॥
हो प्रभु जय चारौं भ्राता, हो प्रभु जय हनुमत दासा।
दोउ कर जोड़े विनवौं, प्रभु मेरी सुनो बाता॥
ॐ जय..॥
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