माँ काली की आरती: मंगल की सेवा सुन मेरी देवा

मंगल की सेवा सुन मेरी देवा आरती देवी काली को समर्पित है। यह देवी मां का उग्र और शक्तिशाली रूप है। हिंदू धर्म में, देवी काली परिवर्तनकारी ऊर्जा का प्रतीक हैं, जो बुराई, अज्ञानता और बाधाओं को नष्ट करती हैं। भक्तिभाव से गाई जाने वाली यह आरती अक्सर नवरात्र, काली पूजा और अन्य देवी माँ को समर्पित अवसरों पर की जाती है।

माँ काली की आरती: मंगल की सेवा सुन मेरी देवा

मंगल की सेवा सुन मेरी देवा, हाथ जोड़ तेरे द्वार खड़े।
पान सुपारी ध्वजा नारियल, ले ज्वाला तेरी भेंट धरे॥

सुन जगदम्बे कर न विलम्बे, संतन के भंडार भरे।
सन्तन प्रतिपाली सदा खुशहाली, जै काली कल्याण करे॥

बुद्धि विधाता तू जग माता, मेरा कारज सिद्व करे।
चरण कमल का लिया आसरा शरण तुम्हारी आन पड़े॥

जब जब भीड़ पड़ी भक्तन पर, तब तब आप सहाय करे।
गुरु के वार सकल जग मोहयो, तरूणी रूप अनूप धरे॥

माता होकर पुत्र खिलावे, कही भार्या बन भोग करे।
शंकर सुखदाई सदा सहाई संत खडे जयकार करे॥

ब्रह्मा विष्णु महेश फल लिये, भेट देन तेरे द्वार खड़े।
अटल सिहांसन बैठी माता, सिर सोने का छत्र फिरे॥

वार शनिश्चर कुमकुम वर्णी, जब लंकुण पर हुकुम करे।
खड्ग खप्पर त्रिशुल हाथ लिये, रक्त बीज को भस्म करे॥

शुम्भ निशुम्भ क्षणहि में मारे, महिषासुर को पकड़ दले।
आदित वारि आदि की वीणा, जन अपने को कष्ट हरे॥

कुपित होय के दनव मारे, चण्डमुण्ड सब चूर करे।
जब तुम देखी दया रूप हो, पल मे सकंट दूर करे॥

सौम्य स्वभाव धरऔ मेरी माता, जन की अर्ज कबूल करे।
सात बार की महिमा बरनी, सब गुण कौन बखान करे॥

सिंह पीठ पर चढ़ी भवानी, अटल भवन में राज्य करे।
दर्शन पावे मंगल गावे, सिद्ध साधक तेरी भेंट धरे॥

ब्रह्मा वेद पढ़े तेरे द्वारे, शिव शंकर हरी ध्यान धरे।
इन्द्र कृष्ण तेरी करे आरती, चंवर कुबेर डुलाय रहे॥

जय जननी जय मातु भवानी, अटल भवन मे राज्य करे।
सन्तन प्रतिपाली सदा खुशहाली, जै काली कल्याण करे॥

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