माँ काली की आरती: मंगल की सेवा सुन मेरी देवा

मंगल की सेवा सुन मेरी देवा आरती देवी काली को समर्पित है। यह देवी मां का उग्र और शक्तिशाली रूप है। हिंदू धर्म में, देवी काली परिवर्तनकारी ऊर्जा का प्रतीक हैं, जो बुराई, अज्ञानता और बाधाओं को नष्ट करती हैं। भक्तिभाव से गाई जाने वाली यह आरती अक्सर नवरात्र, काली पूजा और अन्य देवी माँ […]

भगवान राम और माता सीता की भक्ति से भरी हुई एक तस्वीर, जिसमें उनके दिव्य तेज और शांत मुखाकृति को दर्शाया गया है। यह पारंपरिक भारतीय कला शैली में बनाई गई है, और उनके चारों ओर प्रकाश की आभा उनके दिव्य स्वरूप को प्रकट करती है।

श्री जानकीनाथ आरती (Shri Jankinath Aarti) – ॐ जय जानकीनाथा

‘जानकीनाथ’ शब्द का शाब्दिक अर्थ “जानकी के भगवान” है। मिथला के राजा जनक की पुत्री होने के कारण माँ सीता का दूसरा नाम जानकी पड़ा। माता जानकी के पति होने के कारण राम को जानकीनाथ से सम्बोधित किया गया है। इसीलिये जानकीनाथ आरती भगवान राम को समर्पित है। भगवान राम की यह आरती उनसे शांति,

श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं में बांके बिहारी जी की एक रंगीन और भव्य तस्वीर, जिसमें वे पारंपरिक पोशाक और सुंदर आभूषणों से सजे हुए हैं। बांसुरी पकड़े हुए और उनके चारों ओर माला और दिव्य आभा से उनकी भक्ति को दर्शाया गया है।

बांके बिहारी आरती: श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं

श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं आरती भगवान श्रीकृष्ण के अद्वितीय और आकर्षक स्वरूप, बांके बिहारी जी को समर्पित है। यह आरती बांके बिहारी मंदिर में और गोवर्धन पूजा के समय गायी जाती है। श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं (Shri Banke Bihari Teri Aarti Gaun) श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं,हे गिरिधर तेरी आरती

भगवान राम की एक दिव्य तस्वीर, जिसमें वे धनुष और बाण पकड़े हुए पारंपरिक मुद्रा में हैं। उनके चारों ओर प्रकाश की आभा और पृष्ठभूमि में सुंदर डिज़ाइन उनकी भक्ति और राम जी की आरती (Ram ji ki Aarti) की भावना को प्रकट करती है।

राम जी की आरती (Ram ji ki Aarti): आरती कीजै श्री रघुवर जी की

आरती कीजै श्री रघुवर जी की, राम जी की सबसे प्रसिद्ध आरतीयों में से एक है। यह आरती पारंपरिक रूप से भगवान राम को समर्पित पूजा समारोहों और त्योहारों के दौरान की जाती है। राम नवमी पर इस आरती को अवश्य करें। इस दिन यह आरती करने का विशेष महत्व है। राम जी की आरती:

भगवान सत्यनारायण आरती (Satyanarayan Aarti) की छवि, जिसमें भक्तों से घिरे हुए पारंपरिक हिंदू पूजा का दृश्य दर्शाया गया है, दिव्य आशीर्वाद और जीवंत रंगों के साथ।

सत्यनारायण आरती (Satyanarayan Aarti) – जय लक्ष्मी रमणा

सत्यनारायण आरती (Satyanarayan Aarti) – जय लक्ष्मी रमणा भगवान सत्यनारायण को समर्पित है। यह आरती भगवान सत्यनारायण की पूजा के दौरान की जाती है। भगवान सत्यनाराण स्वयं विष्णु भगवान ही हैं। इसलिए भगवान के कुछ भक्त पूजा के अवसर पर ‘ॐ जय जगदीश हरे‘ आरती भी करते हैं। सत्यनारायण आरती – जय लक्ष्मी रमणा (Satyanarayan

काली माता की छवि, जो शक्तिशाली और क्रोधमूर्ति हिंदू देवी के रूप में दर्शाई गई हैं। उनके माथे पर अर्धचंद्र, गले में मुण्डमाला, और हाथ में तलवार है। वे भगवान शिव पर खड़ी हैं, और पृष्ठभूमि जीवंत कलात्मक शैली में बनी है, जो अम्बे तू है जगदम्बे काली थीम को दर्शाती है।

काली माता की आरती – अम्बे तू है जगदम्बे काली

अम्बे तू है जगदम्बे काली एक लोकप्रिय आरती है, जो माँ अम्बा (काली) को समर्पित है, जिन्हें देवी दुर्गा के उग्र रूपों में से एक माना जाता है। माँ अम्बा को शक्ति, साहस, और बुराई के विनाश का प्रतीक माना जाता है। इस आरती में देवी को जगदम्बा, अर्थात् पूरे संसार की माता के रूप

मां जग जननी जय जय (Maa Jag Janani Jai Jai) की छवि, जिसमें देवी दुर्गा को पारंपरिक आभूषणों और माला से सुसज्जित दिखाया गया है। यह छवि चमकदार नारंगी और लाल पृष्ठभूमि पर भारतीय पारंपरिक पैटर्न के साथ है। यह 'मां जगत जननी आरती' थीम को दर्शाती है।

माँ जग जननी जय जय आरती (Maa Jag Janani Jai Jai Aarti Hindi)

जग जननी जय जय आरती माँ जगत जननी अर्थात्‌ ‘ब्रह्मांड की माँ’ ‘देवी दुर्गा’ को समर्पित है। आरती में माँ को ब्रह्माण्ड की एकमात्र शक्ति के रूप में दर्शाया गया है। उन्हीं को सृजनकर्ता, पालनकर्ता और संहारकर्ता कहा गया है। वे ही इस प्रक्रति के मूल में हैं और राम, कृष्ण, सीता और बृजरानी राधा

भगवान कुंज बिहारी (कृष्ण) की छवि, दिव्य मुद्रा में, सुंदर आभूषणों और रंगीन वस्त्रों से सजी हुई। छवि पर आरती कुंज बिहारी की (aarti kunj bihari ki) लिखा हुआ है और पृष्ठभूमि नारंगी रंग की सजावटी डिज़ाइन से सजी हुई है।,

Aarti Kunj Bihari Ki – श्री कृष्ण जी की आरती

कृष्ण आरती, आरती कुंज बिहारी की आरती में भगवान श्रीकृष्ण के मोर मुकुट, बांसुरी और उनकी मनमोहक छवि का वर्णन किया गया है। यह आरती अक्सर कृष्ण जन्माष्टमी या दैनिक पूजा के दौरान गाई जाती है। श्री कृष्ण जी की आरती – आरती कुंज बिहारी की (Aarti Kunj Bihari Ki) आरती कुंज बिहारी की, श्री

भगवान बालाजी फूलों की माला और आभूषणों से सुसज्जित, जिसमें बालाजी की आरती लिखा हुआ है और पृष्ठभूमि में सजावटी नारंगी और पीले फूलों की मालाएं हैं।

बालाजी की आरती – ॐ जय हनुमत वीरा

बालाजी की आरती – ॐ जय हनुमत वीरा आरती को गाने से न केवल नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा होती है, बल्कि यह भक्तों के कष्ट हरकर उन्हें आत्मिक शांति, साहस, और हनुमान जी की कृपा का अनुभव कराती है। बालाजी की आरती – ॐ जय हनुमत वीरा ॐ जय हनुमत वीरा, स्वामी जय हनुमत वीरा।संकट

राधा रानी की छवि पारंपरिक पोशाक में, दिव्य आभा के साथ, फूलों और आभूषणों से सजी हुई। छवि पर 'राधा रानी आरती' और श्लोक लिखा है: 'आरती श्री वृषभानु सुता की, मंजुल मंगल मूर्ति ममता की।

राधा रानी आरती (Radha Rani Aarti): आरती श्री वृषभानु सुता की

राधा अष्टमी के पावन अवसर पर राधा रानी की आरती (Radha Rani Aarti) करें। राधा रानी आरती (Radha Rani Aarti): आरती श्री वृषभानु सुता की आरती श्री वृषभानु सुता की, मंजुल मूर्ति मोहन ममता की॥ त्रिविध तापयुत संसृति नाशिनि, विमल विवेकविराग विकासिनि।पावन प्रभु पद प्रीति प्रकाशिनि, सुन्दरतम छवि सुन्दरता की॥ आरती श्री वृषभानु सुता की…

भगवान विष्णु का शंख, गदा और कमल के साथ पारंपरिक परिधान में चित्रण जिसमें नारायण आरती और ॐ जय जगदीश हरे लिखा हुआ है।

विष्णु आरती – ॐ जय जगदीश हरे (Om Jai Jagdish Hare)

भगवान विष्णु की यह आरती हिंदू धर्म में सबसे लोकप्रिय और व्यापक रूप से गाई जाने वाली आरती में से एक है। ॐ जय जगदीश हरे आरती 19वीं सदी में पंडित शारदा राम फिल्लौरी द्वारा लिखी गई थी। यह आरती भारत भर में विभिन्न भाषाओं में व्यापक रूप से गाई जाती है, लेकिन इसकी मूल

रात के समय गंगा नदी के तट पर बड़े पीतल के दीपकों के साथ पुजारियों द्वारा गंगा आरती करते हुए एक मनमोहक दृश्य।

गंगा आरती – ओम जय गंगे माता

गंगा आरती एक आध्यात्मिक अनुष्ठान है जो पवित्र गंगा नदी के तट पर प्रातः और संध्या के समय किया जाता है। इसमें दीपक, अगरबत्ती और फूलों के माध्यम से गंगा माँ की पूजा की जाती है। मंत्रों और भजनों के मधुर उच्चारण के साथ यह आरती भक्तों को शांति और सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव कराती

भगवान राम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान जी का भक्ति भाव में चित्रण, जिसमें रामायण आरती - आरती शीर्षक बोल्ड फॉन्ट में लिखा है।

रामायण जी की आरती – आरती श्री रामायण जी की

‘रामायण जी की आरती – आरती श्री रामायण जी की’ आरती रामायण (श्रीरामचरितमानस) महाकाव्य को समर्पित है। इसकी रचना गोस्वामी तुलसीदास ने की थी, जो 16वीं शताब्दी के प्रसिद्ध भारतीय कवि और संत थे। यह आरती अवधी भाषा में लिखी गई है, जो हिंदी की एक बोली है। तुलसीदास के समय में अवधी भाषा का

श्री कृष्ण आरती (Aarti Shri Krishna Kanhaiya ki) जिसमें भगवान श्री कृष्ण बांसुरी बजाते हुए चंद्रमा की रोशनी के नीचे दिखाई दे रहे हैं। नीले आकाश और पुष्प डिजाइन के साथ श्री कृष्ण की दिव्य आभा को दर्शाया गया है।

आरती श्री कृष्ण कन्हैया की (Aarti Shri Krishna Kanhaiya ki)

श्री कृष्ण कन्हैया आरती को विशेषकर जन्माष्टमी पर भक्त गाते हैं। श्री कृष्ण कन्हैया की आरती (Aarti Shri Krishna Kanhaiya ki) Aarti krishna kanhaiya ki lyrics मथुरा कारागृह अवतारी, गोकुल जसुदा गोद विहारी।नन्दलाल नटवर गिरधारी, वासुदेव हलधर भैया की॥ आरती श्री कृष्ण … मोर मुकुट पीताम्बर छाजै, कटि काछनि, कर मुरलि विराजै।पूर्ण सरक ससि मुख

भगवान गणेश की मूर्ति के नीचे सुखकर्ता दुखहर्ता (Sukhkarta Dukhharta) लिखा हुआ है और छवि पर दीपक और गेंदे के फूलों की पारंपरिक सजावट है।

सुखकर्ता दुखहर्ता गणपति आरती

सुखकर्ता दुखहर्ता आरती (Sukhkarta Dukhharta Aarti) की रचना समर्थ रामदास ने 17वीं शताब्दी में मराठी भाषा में की, जो उस समय पर जन भाषा थी। आज के समय पर यह एक लोकप्रिय मराठी आरती है। इस आरती को भक्तजन गणेश चतुर्थी के अवसर पर गाते हैं। विशेषकर भगवान गणपति की मूर्ति स्थापना और विसर्जन के

भगवान गणेश मोदक और परशु धारण किए हुए पारंपरिक आभूषणों से सुसज्जित हैं और लाल फूलों के सुंदर पैटर्न से घिरे हुए हैं, जो शेंदूर लाल चढ़ायो (Shendur Lal Chadhayo Lyrics) के उत्सव को दर्शाता है।

शेंदुर लाल चढ़ायो (Shendur Lal Chadhayo Lyrics)

शेंदुर लाल चढ़ायो (Shendur Laal Chadhayo) आरती की रचना मोरया गोसावी ने मराठी भाषा में की थी। मोरया गोसावी भगवान गणेश के भक्त थे जिनके प्राण भगवान गणेश में विलीन हो गये थे। भगवान गणेश को समर्पित यह आरती विशेष रूप से गणेश चतुर्थी और अन्य गणेश-संबंधी त्योहारों के दौरान भक्तों द्वारा गाई जाती है।