आरती और चालीसा

श्री कृष्ण आरती (Aarti Shri Krishna Kanhaiya ki) जिसमें भगवान श्री कृष्ण बांसुरी बजाते हुए चंद्रमा की रोशनी के नीचे दिखाई दे रहे हैं। नीले आकाश और पुष्प डिजाइन के साथ श्री कृष्ण की दिव्य आभा को दर्शाया गया है।

आरती श्री कृष्ण कन्हैया की (Aarti Shri Krishna Kanhaiya ki)

श्री कृष्ण कन्हैया आरती को विशेषकर जन्माष्टमी पर भक्त गाते हैं। श्री कृष्ण कन्हैया की आरती (Aarti Shri Krishna Kanhaiya ki) Aarti krishna kanhaiya ki lyrics मथुरा कारागृह अवतारी, गोकुल जसुदा गोद विहारी।नन्दलाल नटवर गिरधारी, वासुदेव हलधर भैया की॥ आरती श्री कृष्ण … मोर मुकुट पीताम्बर छाजै, कटि काछनि, कर मुरलि विराजै।पूर्ण सरक ससि मुख […]

विष्णु चालीसा (Vishnu Chalisa) जिसमें भगवान विष्णु शंख, चक्र और गदा धारण किए हुए हैं, और भक्त पूजा अर्पित कर रहे हैं। चित्र में सुंदर आभूषण और जीवंत रंगों का प्रदर्शन किया गया है।

श्री विष्णु चालीसा (Vishnu Chalisa): नमो विष्णु भगवान खरारी।

एकादशी पर भगवान विष्णु के पूजन का विशेष महत्व होता है। इस दिन भगवान विष्णु की आराधना करना असीम पुण्य प्रदान करता है। श्री विष्णु चालीसा (Vishnu Chalisa) का पाठ एकादशी पर अत्यन्त लाभप्रद और शुभ फलदायी माना गया है। यह चालीसा भगवान विष्णु को अत्यन्त प्रिय है और इसे श्रद्धापूर्वक पढ़ने से भक्तों पर

देवी दुर्गा के त्रिशूल और आंख का कलात्मक चित्रण, हरे-नीले पृष्ठभूमि पर, जिसमें दुर्गा चालीसा के लाभ (Durga Chalisa Benefits in Hindi) चमकते हुए अक्षरों में लिखा हुआ है।

दुर्गा चालीसा पढ़ने के लाभ

दुर्गा चालीसा का पाठ करने के अनेक आध्यात्मिक, मानसिक, और शारीरिक लाभ हैं। यह न केवल भक्त को माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त करने में सहायता करता है, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में सकारात्मकता और ऊर्जा का संचार भी करता है। इसके प्रमुख लाभों का वर्णन नीचे किया गया है। दुर्गा चालीसा पढ़ने के

भगवान हनुमान गदा पकड़े हुए दिव्य मुद्रा में बैठे हैं उनके गले में माला सुशोभित है और लाल पृष्ठभूमि पर हनुमान चालीसा अर्थ (Hanuman Chalisa meaning) लिखा हुआ है।

श्री हनुमान चालीसा अर्थ सहित

हनुमान चालीसा के अर्थ को समझने से व्यक्ति को भगवान हनुमान की शक्तियों, गुणों और उनके भगवान राम के प्रति समर्पण का ज्ञान होता है। यह हमें सिखाता है कि साहस, समर्पण और सच्ची भक्ति से हर बाधा को पार किया जा सकता है। श्री हनुमान चालीसा अर्थ सहित (Hanuman chalisa meaning in hindi) दोहा

श्री तुलसी चालीसा (Tulsi chalisa) छवि में एक पवित्र तुलसी का पौधा सजावटी गोल फ्रेम में दिखाया गया है, जहां दो लोग दीपक लेकर पूजा करते हुए दिखाई दे रहे हैं।

श्री तुलसी चालीसा – नमो नमो तुलसी महारानी

तुलसी चालीसा (Tulsi Chalisa) माता तुलसी को समर्पित एक अद्भुत और पवित्र ग्रंथ है। इस दिव्य चालीसा के नियमित पाठ से न केवल स्त्रियाँ सौभाग्यवती होती हैं, बल्कि उनके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है। ऐसा माना जाता है कि माता तुलसी की कृपा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यह

भगवान गणेश की मूर्ति के नीचे सुखकर्ता दुखहर्ता (Sukhkarta Dukhharta) लिखा हुआ है और छवि पर दीपक और गेंदे के फूलों की पारंपरिक सजावट है।

सुखकर्ता दुखहर्ता गणपति आरती

सुखकर्ता दुखहर्ता आरती (Sukhkarta Dukhharta Aarti) की रचना समर्थ रामदास ने 17वीं शताब्दी में मराठी भाषा में की, जो उस समय पर जन भाषा थी। आज के समय पर यह एक लोकप्रिय मराठी आरती है। इस आरती को भक्तजन गणेश चतुर्थी के अवसर पर गाते हैं। विशेषकर भगवान गणपति की मूर्ति स्थापना और विसर्जन के

भगवान गणेश मोदक और परशु धारण किए हुए पारंपरिक आभूषणों से सुसज्जित हैं और लाल फूलों के सुंदर पैटर्न से घिरे हुए हैं, जो शेंदूर लाल चढ़ायो (Shendur Lal Chadhayo Lyrics) के उत्सव को दर्शाता है।

शेंदुर लाल चढ़ायो (Shendur Lal Chadhayo Lyrics)

शेंदुर लाल चढ़ायो (Shendur Laal Chadhayo) आरती की रचना मोरया गोसावी ने मराठी भाषा में की थी। मोरया गोसावी भगवान गणेश के भक्त थे जिनके प्राण भगवान गणेश में विलीन हो गये थे। भगवान गणेश को समर्पित यह आरती विशेष रूप से गणेश चतुर्थी और अन्य गणेश-संबंधी त्योहारों के दौरान भक्तों द्वारा गाई जाती है।

श्री राम चालीसा (Shri Ram Chalisa) छवि जिसमें भगवान राम की धनुष और बाण के साथ आकृति है, चारों ओर जटिल मंडला डिज़ाइन और लटकती हुई घंटियाँ हैं।

श्री राम चालीसा (Shri Ram Chalisa): श्री रघुवीर भक्त हितकारी

श्री राम चालीसा (Shri Ram Chalisa) भगवान श्री राम को समर्पित एक दिव्य स्तुति है, जो उनके अद्भुत चरित्र और महिमा का वर्णन करती है। इसका श्रद्धा और भक्ति भाव से पाठ करने वाले व्यक्ति के हृदय में ज्ञान का प्रकाश हो जाता है जिससे वह मोक्ष पद का अधिकारी बनकर जीवन के परम लक्ष्य

हनुमान आरती (Hanuman ji ki aarti) छवि जिसमें भगवान हनुमान की गदा धारण किए हुए भक्तिमय मुद्रा में रंगीन छवि और चारों ओर सजावटी मंडला डिज़ाइन दिख रहे हैं।

हनुमान जी की आरती – आरती कीजै हनुमान लला की

हनुमान जी की आरती के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास जी हैं, जो अवधी भाषा में लिखी गयी है। इसमें उन्होंने भगवान के गुणों का वर्णन किया है। माना जाता है, जो भी तुलसीदास कृत इस आरती को पढ़ता है उसे हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है। रचयिता तुलसीदास भाषा अवधी हनुमान जी की आरती (Hanuman

दुर्गा आरती (Durga Aarti) छवि जिसमें मां दुर्गा की आकृति, एक जलता हुआ दीपक और गेंदे के फूलों की माला शामिल है।

माँ दुर्गा आरती – जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी

दुर्गा आरती के रचयिता शिवानन्द स्वामी थे। यह आरती अक्सर देवी दुर्गा की पूजा के दौरान गाई जाती है। खासकर नवरात्रि के त्योहार में अम्बे, काली और पार्वती सहित उनके विभिन्न रूपों की पूजा और आरती की जाती है। रचयिता देवीदास भाषा हिंदी माँ दुर्गा आरती (Ma Durga Aarti) जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा

भगवान शिव आशीर्वाद मुद्रा में बाघ की खाल पर शांत भाव के साथ बैठे हैं, उनके पास त्रिशूल है और नंदी (बैल), चंद्रमा और शिवलिंग जैसे प्रतीकात्मक तत्वों से घिरे हुए हैं। पृष्ठभूमि चमकीले पीले रंग की है, और नीचे मोटे अक्षरों में शिव आरती (Shiv ji ki aarti): ॐ जय शिव ओंकारा लिखा हुआ है।

शिव जी की आरती – ॐ जय शिव ओंकारा

शिव जी की आरती: ॐ जय शिव ओंकारा की रचना पंडित श्रद्धाराम फिल्लौरी ने की थी। यह आरती अक्सर धार्मिक समारोहों, खासकर शाम की प्रार्थना (संध्या आरती) और महाशिवरात्रि जैसे विशेष अवसरों के दौरान गाई जाती है। रचयिता पंडित श्रद्धाराम फिल्लौरी भाषा हिंदी शिव जी की आरती (Shiv ji ki Aarti) ॐ जय शिव ओंकारा,

भगवान गणेश की प्रतिमा आशीर्वाद मुद्रा में चांदी के मुकुट, बैंगनी शॉल और नारंगी वस्त्र पहने हुए बैठे हैं। है। हरे रंग की पृष्ठभूमि पर सजावटी मांडला डिज़ाइन है, और मूर्ति के ऊपर सफेद अक्षरों में 'गणेश चालीसा (Ganesh Chalisa): जय गणपति सद्गुण सदन' लिखा है।

श्री गणेश चालीसा – जय गणपति सद्गुण सदन कविवर बदन कृपाल

श्री गणेश चालीसा (Shri Ganesh Chalisa) के रचयिता राम सुन्दर प्रभु दास हैं, जिन्होंने 40 छंदों में भगवान गणेश की प्रार्थना की है। भक्तजन इस चालीसा का दैनिक पाठ करते हैं, क्योंकि मान्यता है कि इससे भगवान गणेश जल्दी प्रसन्न होते हैं। रचयिता राम सुन्दर प्रभु दास भाषा अवधी श्री गणेश चालीसा (Shri Ganesh Chalisa) दोहा जय

Goddess Durga is seated on a lion, adorned in golden attire and holding divine weapons. The background features golden lighting and floral decorations, with Durga Chalisa in english written in white letters below.

दुर्गा चालीसा (Shri Durga Chalisa)

दुर्गा चालीसा (Durga Chalisa) हिंदू धर्म का अत्यन्त पूजनीय चालीसा है, जो माँ दुर्गा को समर्पित है। माँ दुर्गा शक्ति, संरक्षण और दिव्य ऊर्जा की प्रतीक हैं। इस चालीसा में माँ की परब्रह्म परमात्मा के स्वरूप में उपासना की जाती है। इसमें 40 छंद हैं, इसलिए इसे चालीसा कहा जाता है। दुर्गा चालीसा (Durga Chalisa)

भगवान शिव ध्यान मुद्रा में संगमरमर की मूर्ति के रूप में विराजमान हैं। पीछे 'ॐ' प्रतीक और बादलों वाली पृष्ठभूमि के साथ गहरे ब्राउन अक्षरों में शिव चालीसा (Shiv Chalisa) लिखा है।

शिव चालीसा (Shiv Chalisa)

शिव चालीसा (Shiv Chalisa) की रचना संत अयोध्यादास ने की थी। रचयिता संत अयोध्यादास भाषा हिन्दी शिव चालीसा (Shiv Chalisa Lyrics in hindi) दोहा श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥ चौपाई जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥ भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥ अंग

श्री गणेश की भव्य चित्रकारी जिसमें वे पीले और नारंगी वस्त्र पहने, मोदक और आशीर्वाद मुद्रा में सिंहासन पर विराजमान हैं। नीचे 'गणेश जी की आरती (Ganesh ji ki Aarti): जय गणेश देवा' लाल पृष्ठभूमि और दीपकों के साथ लिखा हुआ है।

गणेश जी की आरती (Ganesh ji ki Aarti) – जय गणेश जय गणेश देवा

प्रथम पूज्य भगवान गणेश की आरती (Ganesh ji ki Aarti) – ‘जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा’ गणेश जी की आरती जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥ एकदंत, दयावन्त, चार भुजाधारी।माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥ पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा।लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा॥

भगवान हनुमान की एक चित्रण, जिसमें वे आशीर्वाद मुद्रा में गदा धारण किए हुए हैं, जो भक्ति और शक्ति का प्रतीक है। इसे एक सुनहरे सजावटी पृष्ठभूमि पर सेट किया गया है, जिसमें गहरे भूरे रंग में हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) लिखा हुआ है।

हनुमान चालीसा – जय हनुमान ज्ञान गुन सागर

हनुमान चालीसा भगवान हनुमान जी को समर्पित है। इसमें उनके बल, पराक्रम व गुणों का वर्णन 40 चौपाइयों में किया गया है। हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास जी हैं। यह उनके द्वारा भगवान हनुमान जी की स्तुति है। तुलसीदास जी ने हनुमान चालीसा की रचना १६वी शताब्दी में अवधी भाषा में की। रामचरितमानस के