भक्ति

भगवान गणेश की प्रतिमा आशीर्वाद मुद्रा में चांदी के मुकुट, बैंगनी शॉल और नारंगी वस्त्र पहने हुए बैठे हैं। है। हरे रंग की पृष्ठभूमि पर सजावटी मांडला डिज़ाइन है, और मूर्ति के ऊपर सफेद अक्षरों में 'गणेश चालीसा (Ganesh Chalisa): जय गणपति सद्गुण सदन' लिखा है।

श्री गणेश चालीसा – जय गणपति सद्गुण सदन कविवर बदन कृपाल

श्री गणेश चालीसा (Shri Ganesh Chalisa) के रचयिता राम सुन्दर प्रभु दास हैं, जिन्होंने 40 छंदों में भगवान गणेश की प्रार्थना की है। भक्तजन इस चालीसा का दैनिक पाठ करते हैं, क्योंकि मान्यता है कि इससे भगवान गणेश जल्दी प्रसन्न होते हैं। रचयिता राम सुन्दर प्रभु दास भाषा अवधी श्री गणेश चालीसा (Shri Ganesh Chalisa) दोहा जय […]

भगवान हनुमान शांत मुद्रा में गदा धारण किए हुए और स्वर्ण मुकुट तथा मालाओं से अलंकृत हैं। लाल पृष्ठभूमि पर पारंपरिक डिज़ाइन और दीयों की सजावट के साथ पीले मोटे अक्षरों में हनुमान बाहुक (hanuman bahuk) लिखा हुआ है।

श्री हनुमान बाहुक (Shri Hanuman Bahuk in hindi)

हनुमान बाहुक (Hanuman bahuk) की रचना गोस्वामी तुलसीदास ने विक्रम संवत् 1664 के लगभग की थी। यह वह समय था जब उनके बाहुओं में वात-व्याधि की भयंकर पीड़ा उत्पन्न हुई थी और फोड़े-फुंसियों के कारण उनके पूरे शरीर में पीड़ा होने लगी। दर्द को कम करने के लिए औषधि, यन्त्र, मन्त्र एवं अनेक टोटके वगैरह

गायत्री मंत्र को संस्कृत में लाल अक्षरों से हल्के बेज़ रंग की टेक्सचर्ड पृष्ठभूमि पर लिखा गया है। इसे पारंपरिक देवनागरी शैली में प्रस्तुत किया गया है।

गायत्री मंत्र: अर्थ, लाभ और जप विधि

रचयिता विश्वामित्र भाषा संस्कृत मंत्र भूर्भुवः स्वःतत्सवितुर्वरेण्यम्भर्गो देवस्य धीमहिधियो योनः प्रचोदयात्। गायत्री मंत्र क्या है? गायत्री मंत्र वेदों का सबसे पवित्र और प्रभावशाली महामंत्र है। यह मंत्र सावित्र देव (सविता या सूर्य देव) को समर्पित है, इसलिए गायत्री मंत्र को सावित्री मंत्र भी कहा जाता है। गायत्री मंत्र ‘भूर्भुवः स्वः’ और ऋग्वेद के मंडल 3.62.10

भगवान हनुमान आशीर्वाद की मुद्रा में गदा के साथ स्वर्ण मुकुट और पारंपरिक आभूषण पहने हुए घुटनों के बल बैठे हैं। लाल पृष्ठभूमि पर सुनहरे मांडला डिज़ाइन और नीचे सफेद अक्षरों में बजरंग बाण (bajrang baan) लिखा हुआ है।

श्री बजरंग बाण – जय हनुमन्त सन्त हितकारी

बजरंग बाण (Bajrang Baan) के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास हैं। यह पाठ हनुमान जी को समर्पित है। हम इसका प्रयोग एक बाण की तरह कर सकते हैं। इस दिव्य बाण का प्रयोग हम शारीरिक रोग, संकट, भूत-प्रेत बाधा निवारण, युद्ध विजय या किसी व्यक्ति विशेष (दुश्मन) पर भी कर सकते हैं। बजरंग बाण में भी तुलसीदास ने कहा

भगवान विष्णु चार भुजाओं में शंख, चक्र, गदा और कमल धारण किए गरुड़ पर सवार हैं। सुनहरी सूर्योदय की पृष्ठभूमि और नीचे दीपों व फूलों के साथ विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र (Vishnu Sahasranamam Stotram) मोटे सफेद अक्षरों में लिखा है।

विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र (Vishnu Sahasranamam Stotram)

विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र (Vishnu Sahasranamam Stotram) में भगवान विष्णु के 1000 नामों को संस्कृत के 108 श्रलोको में प्रस्तुत किया गया है। इसके रचनाकार महर्षि वेदव्यास हैं। महाभारत के अनुशासन पर्व में उपलब्ध विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र सबसे लोकप्रिय है। इसके अन्य संस्करण पद्म पुराण, स्कंद पुराण और गरुड़ पुराण में मौजूद हैं और एक सिख

Goddess Durga is seated on a lion, adorned in golden attire and holding divine weapons. The background features golden lighting and floral decorations, with Durga Chalisa in english written in white letters below.

दुर्गा चालीसा (Shri Durga Chalisa)

दुर्गा चालीसा (Durga Chalisa) हिंदू धर्म का अत्यन्त पूजनीय चालीसा है, जो माँ दुर्गा को समर्पित है। माँ दुर्गा शक्ति, संरक्षण और दिव्य ऊर्जा की प्रतीक हैं। इस चालीसा में माँ की परब्रह्म परमात्मा के स्वरूप में उपासना की जाती है। इसमें 40 छंद हैं, इसलिए इसे चालीसा कहा जाता है। दुर्गा चालीसा (Durga Chalisa)

भगवान शिव ध्यान मुद्रा में संगमरमर की मूर्ति के रूप में विराजमान हैं। पीछे 'ॐ' प्रतीक और बादलों वाली पृष्ठभूमि के साथ गहरे ब्राउन अक्षरों में शिव चालीसा (Shiv Chalisa) लिखा है।

शिव चालीसा (Shiv Chalisa)

शिव चालीसा (Shiv Chalisa) की रचना संत अयोध्यादास ने की थी। रचयिता संत अयोध्यादास भाषा हिन्दी शिव चालीसा (Shiv Chalisa Lyrics in hindi) दोहा श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥ चौपाई जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥ भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥ अंग

श्री गणेश की भव्य चित्रकारी जिसमें वे पीले और नारंगी वस्त्र पहने, मोदक और आशीर्वाद मुद्रा में सिंहासन पर विराजमान हैं। नीचे 'गणेश जी की आरती (Ganesh ji ki Aarti): जय गणेश देवा' लाल पृष्ठभूमि और दीपकों के साथ लिखा हुआ है।

गणेश जी की आरती (Ganesh ji ki Aarti) – जय गणेश जय गणेश देवा

प्रथम पूज्य भगवान गणेश की आरती (Ganesh ji ki Aarti) – ‘जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा’ गणेश जी की आरती जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥ एकदंत, दयावन्त, चार भुजाधारी।माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥ पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा।लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा॥

भगवान हनुमान की एक चित्रण, जिसमें वे आशीर्वाद मुद्रा में गदा धारण किए हुए हैं, जो भक्ति और शक्ति का प्रतीक है। इसे एक सुनहरे सजावटी पृष्ठभूमि पर सेट किया गया है, जिसमें गहरे भूरे रंग में हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) लिखा हुआ है।

हनुमान चालीसा – जय हनुमान ज्ञान गुन सागर

हनुमान चालीसा भगवान हनुमान जी को समर्पित है। इसमें उनके बल, पराक्रम व गुणों का वर्णन 40 चौपाइयों में किया गया है। हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास जी हैं। यह उनके द्वारा भगवान हनुमान जी की स्तुति है। तुलसीदास जी ने हनुमान चालीसा की रचना १६वी शताब्दी में अवधी भाषा में की। रामचरितमानस के