स्तोत्र और मंत्र

भगवान हनुमान लहरी (Hanuman Lahari) नृत्य मुद्रा में पारंपरिक पोशाक से सुशोभित हैं, जो उनकी दिव्य शक्ति और भक्ति को दर्शाता है। पृष्ठभूमि में गेंदे के फूलों की मालाएँ हैं।

हनुमान लहरी (Hanuman Lahari Lyrics)

हनुमान लहरी में हनुमान जी की पूरी जीवन गाथा का संक्षिप्त में विवरण है। इसके माध्यम से भक्त हनुमान जी से अपने कष्टों को दूर करने की विनती करते हैं, ताकि उनकी कृपा से हमारी कठिनाइयाँ दूर हो सकें और जीवन में सुख-शांति का आगमन हो सके। हनुमान लहरी (Hanuman Lahari Lyrics) दोहा गुरुपदपंकज धारि […]

भगवान श्री राम का तीर चलाते हुए चित्रण, श्री राम स्तुति (Shri Ram Stuti) को दर्शाते हुए जीवंत बैंगनी पृष्ठभूमि और सुंदर डिज़ाइन के साथ।

श्री राम स्तुति – श्रीराम चन्द्र कृपालु भजुमन

श्री राम स्तुति (Shri Ram Stuti) – श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास जी हैं। भगवान राम की यह स्तुति उनकी विनय पत्रिका नामक कृति से ली गयी है। तुलसीदास जी ने यह स्तुति 16वीं शताब्दी में संस्कृत और अवधी भाषाओं के मिश्रण में लिखी था। यह प्रार्थना या स्तोत्र भगवान राम की

भगवान हनुमान की ध्यानमग्न एवं आशीर्वाद मुद्रा में बैठे हुए छवि, गदा धारण किए हुए, दीयों और सजावटी पुष्प मालाओं से घिरी हुई, नीचे हनुमान साठिका (Hanuman Sathika) लिखा हुआ।

हनुमान साठिका (Hanuman Sathika) – जय जय जय हनुमान अडंगी

हनुमान साठिका की रचना गोस्वामी तुलसीदास ने की थी। प्रतिदिन हनुमान साठिका के पाठ से पाठक संकटमुक्त होते हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। मंगलवार का पाठ तो विशेष सिद्धिप्रद है। रचयिता तुलसीदास भाषा अवधी हनुमान साठिका (Hanuman Sathika Path) चौपाई जय जय जय हनुमान अडंगी।महाबीर विक्रमबजरंगी॥१॥ जय कपीश जय पवनकुमारा।जय जगबन्दन शील

संकटमोचन हनुमानाष्टक (sankat mochan hanuman ashtak) छवि जिसमें भगवान हनुमान गहनों से सुसज्जित हैं और गदा धारण किए हुए हैं, पृष्ठभूमि में सजावटी लटकते हुए दीपक हैं।

संकट मोचन हनुमानाष्टक – बाल समय रवि भक्षि लियो तब तीनहुँ…

संकट मोचन हनुमानाष्टक (Sankatmochan Hanuman Ashtak) प्रसिद्ध संत गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित भगवान हनुमान जी को समर्पित एक शक्तिशाली पाठ है। जीवन में बाधाओं, कठिनाइयों और दुखों को दूर करने के लिए इसका पाठ किया जाता है। “संकटमोचन” शब्द का अर्थ स्वयं संकट को दूर करने वाला है, जबकि “हनुमानष्टक” का तात्पर्य उन आठ छंदों

भगवान हनुमान शांत मुद्रा में गदा धारण किए हुए और स्वर्ण मुकुट तथा मालाओं से अलंकृत हैं। लाल पृष्ठभूमि पर पारंपरिक डिज़ाइन और दीयों की सजावट के साथ पीले मोटे अक्षरों में हनुमान बाहुक (hanuman bahuk) लिखा हुआ है।

श्री हनुमान बाहुक (Shri Hanuman Bahuk in hindi)

हनुमान बाहुक (Hanuman bahuk) की रचना गोस्वामी तुलसीदास ने विक्रम संवत् 1664 के लगभग की थी। यह वह समय था जब उनके बाहुओं में वात-व्याधि की भयंकर पीड़ा उत्पन्न हुई थी और फोड़े-फुंसियों के कारण उनके पूरे शरीर में पीड़ा होने लगी। दर्द को कम करने के लिए औषधि, यन्त्र, मन्त्र एवं अनेक टोटके वगैरह

गायत्री मंत्र को संस्कृत में लाल अक्षरों से हल्के बेज़ रंग की टेक्सचर्ड पृष्ठभूमि पर लिखा गया है। इसे पारंपरिक देवनागरी शैली में प्रस्तुत किया गया है।

गायत्री मंत्र: अर्थ, लाभ और जप विधि

रचयिता विश्वामित्र भाषा संस्कृत मंत्र भूर्भुवः स्वःतत्सवितुर्वरेण्यम्भर्गो देवस्य धीमहिधियो योनः प्रचोदयात्। गायत्री मंत्र क्या है? गायत्री मंत्र वेदों का सबसे पवित्र और प्रभावशाली महामंत्र है। यह मंत्र सावित्र देव (सविता या सूर्य देव) को समर्पित है, इसलिए गायत्री मंत्र को सावित्री मंत्र भी कहा जाता है। गायत्री मंत्र ‘भूर्भुवः स्वः’ और ऋग्वेद के मंडल 3.62.10

भगवान हनुमान आशीर्वाद की मुद्रा में गदा के साथ स्वर्ण मुकुट और पारंपरिक आभूषण पहने हुए घुटनों के बल बैठे हैं। लाल पृष्ठभूमि पर सुनहरे मांडला डिज़ाइन और नीचे सफेद अक्षरों में बजरंग बाण (bajrang baan) लिखा हुआ है।

श्री बजरंग बाण – जय हनुमन्त सन्त हितकारी

बजरंग बाण (Bajrang Baan) के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास हैं। यह पाठ हनुमान जी को समर्पित है। हम इसका प्रयोग एक बाण की तरह कर सकते हैं। इस दिव्य बाण का प्रयोग हम शारीरिक रोग, संकट, भूत-प्रेत बाधा निवारण, युद्ध विजय या किसी व्यक्ति विशेष (दुश्मन) पर भी कर सकते हैं। बजरंग बाण में भी तुलसीदास ने कहा

भगवान विष्णु चार भुजाओं में शंख, चक्र, गदा और कमल धारण किए गरुड़ पर सवार हैं। सुनहरी सूर्योदय की पृष्ठभूमि और नीचे दीपों व फूलों के साथ विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र (Vishnu Sahasranamam Stotram) मोटे सफेद अक्षरों में लिखा है।

विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र (Vishnu Sahasranamam Stotram)

विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र (Vishnu Sahasranamam Stotram) में भगवान विष्णु के 1000 नामों को संस्कृत के 108 श्रलोको में प्रस्तुत किया गया है। इसके रचनाकार महर्षि वेदव्यास हैं। महाभारत के अनुशासन पर्व में उपलब्ध विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र सबसे लोकप्रिय है। इसके अन्य संस्करण पद्म पुराण, स्कंद पुराण और गरुड़ पुराण में मौजूद हैं और एक सिख