माँ दुर्गा आरती – जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी

दुर्गा आरती के रचयिता शिवानन्द स्वामी थे। यह आरती अक्सर देवी दुर्गा की पूजा के दौरान गाई जाती है। खासकर नवरात्रि के त्योहार में अम्बे, काली और पार्वती सहित उनके विभिन्न रूपों की पूजा और आरती की जाती है।

दुर्गा आरती (Durga Aarti) छवि जिसमें मां दुर्गा की आकृति, एक जलता हुआ दीपक और गेंदे के फूलों की माला शामिल है।
रचयितादेवीदास
भाषाहिंदी

माँ दुर्गा आरती (Ma Durga Aarti)

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥

मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को।
उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको॥

जय अम्बे गौरी…

कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै॥

जय अम्बे गौरी…

केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी।
सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी॥

जय अम्बे गौरी…

कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।
कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योती॥

जय अम्बे गौरी…

शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती॥

जय अम्बे गौरी…

चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥

जय अम्बे गौरी…

ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी।
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी॥

जय अम्बे गौरी…

चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों।
बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू॥

जय अम्बे गौरी…

तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।
भक्तन की दुख हरता, सुख संपति करता॥

जय अम्बे गौरी…

भुजा चार अति शोभित, खडग खप्पर धारी।
मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी॥

जय अम्बे गौरी…

कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती॥

जय अम्बे गौरी…

श्री अंबे जी की आरति, जो कोइ नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे॥

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥

यह भी पढ़ें

भक्ति पथ पर पढ़ें:

Leave a Comment

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *