गंगा आरती – ओम जय गंगे माता

गंगा आरती एक आध्यात्मिक अनुष्ठान है जो पवित्र गंगा नदी के तट पर प्रातः और संध्या के समय किया जाता है। इसमें दीपक, अगरबत्ती और फूलों के माध्यम से गंगा माँ की पूजा की जाती है। मंत्रों और भजनों के मधुर उच्चारण के साथ यह आरती भक्तों को शांति और सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव कराती है। वाराणसी, हरिद्वार और ऋषिकेश में यह गंगा आरती विशेष रूप से प्रसिद्ध है।

रात के समय गंगा नदी के तट पर बड़े पीतल के दीपकों के साथ पुजारियों द्वारा गंगा आरती करते हुए एक मनमोहक दृश्य।
रचयितातुलसीदास
भाषासंस्कृत और अवधी

गंगा आरती (Ganga Aarti) – ओम जय गंगे माता

ओम जय गंगे माता, श्री जय गंगे माता।
जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता॥

चंद्र सी जोत तुम्हारी, जल निर्मल आता।
शरण पडें जो तेरी, सो नर तर जाता॥

ओम जय गंगे माता…

पुत्र सगर के तारे, सब जग को ज्ञाता।
कृपा दृष्टि तुम्हारी, त्रिभुवन सुख दाता॥

ओम जय गंगे माता…

एक ही बार जो तेरी, शारणागति आता।
यम की त्रास मिटा कर, परमगति पाता॥

ओम जय गंगे माता…

आरती मात तुम्हारी, जो जन नित्य गाता।
दास वही सहज में, मुक्त्ति को पाता॥

ओम जय गंगे माता, श्री जय गंगे माता।
जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता॥

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