सुखकर्ता दुखहर्ता आरती (Sukhkarta Dukhharta Aarti) की रचना समर्थ रामदास ने 17वीं शताब्दी में मराठी भाषा में की, जो उस समय पर जन भाषा थी। आज के समय पर यह एक लोकप्रिय मराठी आरती है। इस आरती को भक्तजन गणेश चतुर्थी के अवसर पर गाते हैं। विशेषकर भगवान गणपति की मूर्ति स्थापना और विसर्जन के समय यह आरती गाई जाती है।
सुखकर्ता दुखहर्ता गणपति आरती (Sukhkarta Dukhharta Ganpati Aarti)
सुखकर्ता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नांची।
नुरवी; पुरवी प्रेम, कृपा जयाची॥
सर्वांगी सुंदर, उटी शेंदुराची।
कंठी झळके माळ, मुक्ताफळांची॥१॥
जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति
जय देव जय देव
रत्नखचित फरा, तुज गौरीकुमरा।
चंदनाची उटी, कुमकुम केशरा॥
हिरेजडित मुकुट, शोभतो बरा।
रुणझुणती नूपुरे, चरणी घागरिया॥२॥
जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति
जय देव जय देव
लंबोदर पीतांबर, फणिवरबंधना।
सरळ सोंड, वक्रतुंड त्रिनयना॥
दास रामाचा, वाट पाहे सदना।
संकटी पावावे, निर्वाणी रक्षावे, सुरवरवंदना॥३॥
जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति
जय देव जय देव
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